
Surgical Strike:पहलगाम हमला होने के बाद,
Surgical Strike क्यों क्या भारत? 22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले ने भारत को गहरे सदमे में डाल दिया।
इस हमले में 26 निर्दोष पर्यटकों की जान गई और 17 लोग घायल हुए, जिसने देश में आक्रोश की लहर पैदा की।
आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े द रजिस्टेंट फ्रंट (TRF) ने हमले की जिम्मेदारी ली,
और भारत ने इसे पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद का स्पष्ट उदाहरण माना।
इसके जवाब में भारत सरकार ने सर्जिकल स्ट्राइक के रूप में एक निर्णायक कदम उठाया,
जिसने भारत की आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस नीति को मजबूत किया और वैश्विक मंच पर एक शक्तिशाली संदेश दिया।
भारत की Surgical Strike, इसके खर्च, पाकिस्तान को हुए नुकसान,
और वैश्विक प्रतिक्रियाओं का तथ्य आधारित विश्लेषण प्रस्तुत करता है।
Surgical Strike का प्रारंभ: पहलगाम हमले की पृष्ठभूमि
22 अप्रैल 2025 को दोपहर 2:45 बजे,
पहलगाम की बैसरन घाटी में पांच आतंकवादियों ने पर्यटकों पर अंधाधुंध गोलीबारी शुरू की।
हमले में दो स्थानीय और तीन पाकिस्तानी आतंकी शामिल थे, जिन्होंने हिंदू पर्यटकों को चुन-चुनकर निशाना बनाया।
एनआईए की जांच में पता चला कि हमलावरों ने M4 कार्बाइन और AK-47 जैसे हथियारों का इस्तेमाल किया,
और फंडिंग क्रिप्टोकरेंसी के जरिए पाकिस्तान से की गई।
यह हमला 2008 के मुंबई हमलों के बाद भारत में नागरिकों पर सबसे घातक हमला था,
जिसने जम्मू-कश्मीर के पर्यटन उद्योग, जो क्षेत्र की जीडीपी में 7-8% योगदान देता है, को गहरा झटका दिया।
इस हमले ने भारत को Surgical Strike जैसे कठोर जवाबी कदम के लिए मजबूर किया।
Surgical Strike की योजना: ऑपरेशन सिंदूर का जन्म
पहलगाम हमले के 15 दिन बाद, 6 मई 2025 की देर रात,
भारतीय सशस्त्र बलों ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत Surgical Strike शुरू की।
इस ऑपरेशन में भारतीय वायुसेना ने मिराज-2000, राफेल लड़ाकू विमानों, ड्रोन्स,
और मिसाइलों का उपयोग किया।
रक्षा मंत्रालय के अनुसार,
पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में 9 आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया गया,
जिनमें लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद के बहावलपुर और मुरिदके स्थित शिविर शामिल थे।
इस Surgical Strike में 50 से अधिक आतंकवादी मारे गए और कई प्रशिक्षण शिविर नष्ट हो गए।
यह ऑपरेशन 2016 की उरी Surgical Strike और 2019 की बालाकोट एयरस्ट्राइक की तरह सटीक और प्रभावी था।
Surgical Strike का कार्यान्वयन: रणनीति और तकनीक
Surgical Strike की योजना राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल,
तीनों सेनाओं के प्रमुखों, और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की 150 मिनट की गहन बैठक में तैयार की गई।
भारत ने सैटेलाइट इमेजरी, ड्रोन सर्विलांस,
और ह्यूमिंट (ह्यूमन इंटेलिजेंस) का उपयोग करके आतंकी ठिकानों की सटीक जानकारी जुटाई।
ऑपरेशन को रात के अंधेरे में अंजाम दिया गया, जिससे पाकिस्तानी सेना को जवाब देने का समय नहीं मिला।
इस Surgical Strike का उद्देश्य आतंकी ढांचे को ध्वस्त करना और पाकिस्तान को यह संदेश देना था
कि भारत आतंकवाद के खिलाफ कोई समझौता नहीं करेगा।
ऑपरेशन की सफलता ने भारत की सैन्य और रणनीतिक क्षमता को वैश्विक स्तर पर प्रदर्शित किया।

Surgical Strike का आर्थिक पक्ष: भारत का खर्च
Surgical Strike जैसे ऑपरेशन में भारी आर्थिक संसाधनों की आवश्यकता होती है।
रक्षा विशेषज्ञों के अनुमान के अनुसार, ऑपरेशन सिंदूर में भारत का खर्च लगभग 500-700 करोड़ रुपये रहा।
इसमें लड़ाकू विमानों के ईंधन (लगभग 100-150 करोड़ रुपये), मिसाइलों और ड्रोन्स (200-250 करोड़ रुपये),
और सैटेलाइट सर्विलांस (50-75 करोड़ रुपये) की लागत शामिल थी।
इसके अलावा, सेना की तैनाती, लॉजिस्टिक्स, और खुफिया जानकारी जुटाने में भी लाखों रुपये खर्च हुए।
यह खर्च भारत के 2025-26 के 6.2 लाख करोड़ रुपये के रक्षा बजट का एक छोटा हिस्सा है।
यह निवेश आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए अनिवार्य था।
Surgical Strike से पाकिस्तान को नुकसान: आतंकी ढांचे पर प्रहार
भारत के हमले ने पाकिस्तान के आतंकी ढांचे को गंभीर क्षति पहुंचाई।
नौ आतंकी ठिकानों के नष्ट होने से लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद की भर्ती और प्रशिक्षण क्षमता पर गहरा असर पड़ा।
अनुमान है कि पाकिस्तान को 1000-1500 करोड़ रुपये का आर्थिक नुकसान हुआ,
जिसमें शिविरों की बुनियादी ढांचा लागत, हथियार, और प्रशिक्षण सुविधाएं शामिल हैं।
इसके अलावा, भारत के कूटनीतिक कदमों, जैसे सिंधु जल समझौता रद्द करना और आयात-निर्यात पर प्रतिबंध,
ने पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को और कमजोर किया।
Surgical Strike के बाद पाकिस्तान की LoC पर गोलीबारी की कोशिश को भारतीय सेना ने नाकाम कर दिया, जिसने उसकी सैन्य स्थिति को और कमजोर किया।
Surgical Strike पर पाकिस्तान की प्रतिक्रिया: भय और प्रचार
पाकिस्तान ने Surgical Strike को “अनुचित आक्रामकता” करार देते हुए इसकी निंदा की।
पाकिस्तानी रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने भारत से ऐसे कदम न उठाने की अपील की थी,
लेकिन ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान में हड़कंप मच गया।
पाकिस्तानी सेना ने दावा किया कि वह भारत के किसी भी हमले का जवाब दे सकती है,
लेकिन सूत्रों के अनुसार, Surgical Strike के डर से पाकिस्तान ने अपने आतंकी लॉन्च पैड्स को सीमा से हटाना शुरू कर दिया।
पाकिस्तानी मीडिया और सोशल मीडिया पर भारत के खिलाफ दुष्प्रचार अभियान चलाया गया,
जिसमें भारतीय सेना को बदनाम करने की कोशिश की गई।
हालांकि, भारत की साइबर कार्रवाइयों और तथ्य-जांच ने इन प्रयासों को नाकाम कर दिया।
Surgical Strike और अमेरिका की प्रतिक्रिया: भारत को समर्थन
अमेरिका ने पहलगाम हमले की निंदा की और Surgical Strike के बाद भारत की आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई का समर्थन किया।
अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने भारतीय विदेश मंत्री एस.जयशंकर से फोन पर बातचीत में हमले के दोषियों को न्याय के दायरे में लाने की आवश्यकता पर जोर दिया।
अमेरिकी रक्षा सचिव पीट हेग्सेथ ने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के साथ बातचीत में कहा कि अमेरिका भारत के आत्मरक्षा के अधिकार के साथ खड़ा है।
अमेरिकी विशेषज्ञों का मानना है कि
भारत का क्वाड सदस्य होना और क्षेत्रीय स्थिरता में उसकी भूमिका उसे एक महत्वपूर्ण रणनीतिक साझेदार बनाती है।
Surgical Strike ने भारत-अमेरिका संबंधों को और मजबूत किया।
Surgical Strike पर वैश्विक प्रतिक्रिया: समर्थन और संयम की अपील
Surgical Strike ने वैश्विक समुदाय का ध्यान आकर्षित किया। रूस, फ्रांस,
और इजरायल ने हमले की निंदा की और भारत के आतंकवाद विरोधी प्रयासों की सराहना की।
इजरायल ने इसे “इस्लामवादी आतंकी हमला” करार दिया और भारत को पूर्ण समर्थन का वादा किया।
चीन और कतर ने दोनों देशों से संयम बरतने और बातचीत के जरिए विवाद सुलझाने की अपील की,
लेकिन भारत के कूटनीतिक प्रयासों को व्यापक समर्थन मिला।
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने भारत और पाकिस्तान से “अधिकतम सैन्य संयम” बरतने का आग्रह किया,
लेकिन भारत की सर्जिकल Strike को आतंकवाद के खिलाफ एक आवश्यक कदम माना गया।
Surgical Strike का दीर्घकालिक प्रभाव: भारत की रणनीति
Surgical Strike के साथ-साथ भारत ने पाकिस्तान पर कूटनीतिक और आर्थिक दबाव बढ़ाया।
1960 के सिंधु जल समझौते को रद्द करना पाकिस्तान के लिए एक बड़ा झटका था,
क्योंकि उसकी 80% कृषि और 24 करोड़ आबादी इस पानी पर निर्भर है।
भारत ने पाकिस्तान से सभी आयात पर प्रतिबंध लगा दिया और फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) में पाकिस्तान को फिर से ग्रे लिस्ट में डालने की कोशिश शुरू की।
सर्जिकल Strike ने न केवल आतंकी ढांचे को कमजोर किया,
बल्कि पाकिस्तान को कूटनीतिक रूप से अलग-थलग करने में भी मदद की।
यह कदम भारत की संप्रभुता और नागरिकों की सुरक्षा के प्रति उसकी अटल प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
नोट: यह आर्टिकल उपलब्ध जानकारी और तथ्यों पर आधारित है।
सर्जिकल Strike का खर्च और पाकिस्तान को नुकसान जैसे अनुमान विशेषज्ञों के विश्लेषण पर आधारित हैं,
क्योंकि सटीक आंकड़े सार्वजनिक रूप से उपलब्ध नहीं हैं।
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